Skip to main content

कारगिल विजय दिवस(Tribute to kargil Soldiers)

 सन्न 1999 की वो लड़ाई थी एक आंधी जोर से आई थी वीरो ने धुल दुश्मनो को चटाई थी न झुकें थे हम कभी न झुकेंगे ये बात सिद्ध करके दखाई थी।

ये माटी कर रही तुम्हारी जय जय कार हैं इतिहास गवाह विजय दिवस पर नमन कर रहा शहीदो को पूरा हिंदुस्तान हैं आज भी उस चोटी पर वीरो के लहु के निशान हैं ये भारत माँ की साँची संतान हैं।

नमन शहीदो के बलिदान को,नमन शहीदो के स्वाभिमान को, 
नमन करता पूरा भारत गर्व से हमारे जवानों कि शान को मात्रुभूमि के वीर जवानों  को।

ये जमी तुम्हारी कर्जदार हैं, 
इसके कण -कण मैं गुजी तुम्हारी पुकार हैं,
तेरी ललकारो से गूँजी कश्मीर की घाटी बार बार हैं, 

देश का पत्ता पत्ता करता शहीदो की जय जयकार है,
नमन शहीदो को करता ये सारा संसार हैं।
तेरा बलिदान व्यर्थ न जयेगा, 
ये वतन पूरा हिसाब हर बार दुश्मनों से चुकायेगा, 
दुश्मनों को सबक़ हर बार सिखाएगा, 
नमन तुम्हारी वीरगती को पूरा हिंदुस्तान करता जयेगा,

यहाँ पग पग पर तुम्हारे निशान हैं, 
पतझड़ या सावन याद हमे वीरो का बलिदान हैं, 
बच्चा बच्चा कर रहा नमन,
नमन कर रहा पुरा हिन्दुस्तान हैं।

यहाँ लगी शहीदो की कतार हैं, 
हर शहीद वतन का सच्चा पहरेदार है, 
कोई भूला नही हैं बलिदान तुम्हारा 
क्युकी तुम्हारे बिना अधूरा ये संसार हैं, 
नमन कर रहा माटी का कण कण 
भारत माँ कर रही तुम्हारी जय जयकार हैं। 


कारगिल युद्ध मे शहीद सभी वीर जवानों को हमारा सत- सत नमन।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

Ahead towards independence

  बस जगह-जगह क्रांतिकारियों की बड़ी-बड़ी तस्वीरें  नोट पे बापू की फोटो,लाल गेट पर तिरंगा  विद्यालयों में विंध्य हिमाचल यमुना गंगा  सरकारी दफ्तरों में देशभक्तों की तस्वीरो से दीवारों को रंगा  क्या इतनी सी आजादी काफी है ?  क्या सिर्फ इतनी सी आजादी के लिए  रानी लक्ष्मीबाई ने तलवार उठाई थी  क्या केवल इन्हीं लम्हों के लिए मंगल पांडे ने फांसी खाई थी  इसी पल के लिए क्या तात्या टोपे और नाना साहेब ने वफादारी निभाई थी ? केवल सिर्फ इतनी सी आजादी के लिए  कंपनी बाग से कोर्ट में वो जनेऊ धारी लड़ गया था  और वह 23 साल का सरदार रंग दे बसंती गा के फांसी चढ़ गया था ? क्या सिर्फ डेढ गज कपड़े के लिए  नेता जी ने हिटलर को आंख दिखाई थी  और क्या बापू ने सिर्फ नोटों पर छपने के लिए बंदूक सीने पे खाई थी ? क्या केवल आत्मकथाओं के पन्ने भरने के लिए  नेहरू जी ने सालों जेलों में बिताई थी  और लाखों क्या केवल इतिहास के पन्नों की भूख को सालों जेलों की हवा खाई थी  और अंत में प्राणों की बाजी खुशी-खुशी अपने वतन के लिए लगाई थी ? आजादी वो है जब पैरों को छालो का डर ना रहे और सच को सवालों का  आजादी वह है जब झुके हुए सरो का मुकद

वो बचपन फिर से याद आया

  चलते-चलते आज मैंने भी फिर से वो गीत गुनगुनाए अपने ही बचपन के नादान किस्से याद कर मन ही मन मुस्कुराए आज बचपन के वो मजेदार दिन फिर से याद आए । काश! वो दिन फिर से लौट आए  ऐसी उम्मीद हम सब लगाए  पानी में वह कागज की कश्ती दौड़ाए  खुले आसमान में बेखौफ पतंग उड़ाए  एक छत से दूसरे छत ऐसे कितने छतो को हम छू आए  बचपन के वो किस्से आज फिर याद आए । वो डांट से बचने के लिए दादा-दादी के पास चले जाना देर रात तक किस्से कहानियों का वो उनको सुनाना हर-पल याद आता है वो प्यार से माँ का लोरी गाना आज हो गया बचपन का हर किस्सा पुराना । उस पल बेखौफ जिंदगी का लुप्त उठाना  बात-बात पर रूठना मनाना  कभी डरना भूतों से कभी भूत बनकर दूसरों को डराना  शोर-गुल के साथ खेलना नाचना गाना  सब कुछ मानो खुला बाजार था  बचपन का हर किस्सा यादगार था  हर लम्हा बड़ा मजेदार था । दिल में ख्वाहिशों का लगा अंबार था  हर दुकान में कुछ ना कुछ पसंद आ जाता मुझे हर बार था  मेरी हर छोटी ख्वाहिश को पूरा करने में लगा मेरा पूरा परिवार था  उस वक्त अपनों में कुछ अनूठा प्यार था  वो स्कूल का वक्त भी तब सबसे मजेदार था । दिल में अच्छाई मन में सच्चाई  और द

हे ईश्वर ! बचा ले तेरे इंसान को।

  तबाही का मंजर देख तेरा इंसान घबरा रहा है यू अंधेरा चारों और छा रहा है सूरज उगे बिना ही ढलता जा रहा है यह कैसा अजीब दौर नजर आ रहा है तेरा इंसान बिन मौत ही मारा जा रहा है। हाँ माना खुदा तू अपनी नाराजगी जता रहा है हमारे ही कर्मों की सजा हमें ही सुना रहा है  हर चीज की कीमत अब हमें समझा रहा है  अब रहम कर तेरा इंसान एक-एक साँस को तरसता जा रहा है।  तेरे सामने यू लाशो का ढेर लगता जा रहा है  क्या हस्ती और क्या बस्ती  यह तो चारों तरफ फैला जा रहा है  तेरा इंसान अंधेरे की और धकेला जा रहा है  वो अपनी गलतियों को समझ पा रहा है  वो यकीनन पछता रहा है  मगर अब बस भी कर ऐ खुदा  यहाँ हर परिवार बिखरता जा रहा है  तेरा इंसान अब लड़खड़ा रहा हैं। वो हिम्मत हारता जा रहा है  वो अकेला पड़ता जा रहा है  तेरे सामने सर झुका रहा है  माफिया माँग अपनी गलतियों की  तुझसे उम्मीद दया की लगा रहा है  अब रहम कर तेरा इंसान तरसता जा रहा है। हाँ हुई गलतियां हमसे  तो माफ करना भी तो तेरा काम है  क्यों रूठ गया इतना हमसे  कि हमारा तुझे मनाना भी मानो नाकाम है  हे ईश्वर तू सर्वशक्तिमान है  तेरा इंसान तो मूर्ख और नादान है  इसे कहा इतनी प