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Ahead towards independence

 






बस जगह-जगह क्रांतिकारियों की बड़ी-बड़ी तस्वीरें 

नोट पे बापू की फोटो,लाल गेट पर तिरंगा 

विद्यालयों में विंध्य हिमाचल यमुना गंगा 

सरकारी दफ्तरों में देशभक्तों की तस्वीरो से दीवारों को रंगा 

क्या इतनी सी आजादी काफी है ? 


क्या सिर्फ इतनी सी आजादी के लिए 

रानी लक्ष्मीबाई ने तलवार उठाई थी 

क्या केवल इन्हीं लम्हों के लिए मंगल पांडे ने फांसी खाई थी 

इसी पल के लिए क्या तात्या टोपे और नाना साहेब ने वफादारी निभाई थी ?


केवल सिर्फ इतनी सी आजादी के लिए 

कंपनी बाग से कोर्ट में वो जनेऊ धारी लड़ गया था 

और वह 23 साल का सरदार रंग दे बसंती गा के फांसी चढ़ गया था ?


क्या सिर्फ डेढ गज कपड़े के लिए 

नेता जी ने हिटलर को आंख दिखाई थी 

और क्या बापू ने सिर्फ नोटों पर छपने के लिए बंदूक सीने पे खाई थी ?


क्या केवल आत्मकथाओं के पन्ने भरने के लिए 

नेहरू जी ने सालों जेलों में बिताई थी 

और लाखों क्या केवल इतिहास के पन्नों की भूख को सालों जेलों की हवा खाई थी 

और अंत में प्राणों की बाजी खुशी-खुशी अपने वतन के लिए लगाई थी ?


आजादी वो है जब पैरों को छालो का डर ना रहे और सच को सवालों का 

आजादी वह है जब झुके हुए सरो का मुकद्दर बदल जाए 

और झोपड़ों के दिल से हवेलियों का डर निकल जाए |






आजादी वो है जब हौसले की चिड़िया बाधाओं का पिंजरा तोड़ दें 

और क, ख,ग/A,B,C से डरना छोड़ दें

आजादी वो है जब अमन के गीत गाते- गाते वीरों के अंग से लहू ना आए 

और त्योहारों के दिनों में पकवानों की सुगंध की जगह बारूदो कि बू ना आए


आजादी वो है जब सरहदों पे बेखौफ नींद आए बंदूकों और टैंकों से किसी का परिवार न उजड़ जाए


आजादी वो है जब हर मां बेहोश हो न डर हो बेटे को सरहद पर खोने का न बेटी के शोषण का खौफ हो 

आजादी वो है जब सारी गुलामी के पाबंदियां तोड़ दी जाए शत्रु की चक्षु फोड़ दी जाए 

आजादी वो है जब हर मजहब समान हो राम-रहीम साथ विराजमान हो एक साथ रखी गीता और कुरान हो 

आजादी वो है जब बेखौफ हर पंछी कि अपनी उड़ान हो तिरंगे की वास्तविक शान हो 

हर भारतीय गर्व से कहे मां भारती तेरे लिए तो अपनी जान भी कुर्बान हो।

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