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हे ईश्वर ! बचा ले तेरे इंसान को।

  तबाही का मंजर देख तेरा इंसान घबरा रहा है यू अंधेरा चारों और छा रहा है सूरज उगे बिना ही ढलता जा रहा है यह कैसा अजीब दौर नजर आ रहा है तेरा इंसान बिन मौत ही मारा जा रहा है। हाँ माना खुदा तू अपनी नाराजगी जता रहा है हमारे ही कर्मों की सजा हमें ही सुना रहा है  हर चीज की कीमत अब हमें समझा रहा है  अब रहम कर तेरा इंसान एक-एक साँस को तरसता जा रहा है।  तेरे सामने यू लाशो का ढेर लगता जा रहा है  क्या हस्ती और क्या बस्ती  यह तो चारों तरफ फैला जा रहा है  तेरा इंसान अंधेरे की और धकेला जा रहा है  वो अपनी गलतियों को समझ पा रहा है  वो यकीनन पछता रहा है  मगर अब बस भी कर ऐ खुदा  यहाँ हर परिवार बिखरता जा रहा है  तेरा इंसान अब लड़खड़ा रहा हैं। वो हिम्मत हारता जा रहा है  वो अकेला पड़ता जा रहा है  तेरे सामने सर झुका रहा है  माफिया माँग अपनी गलतियों की  तुझसे उम्मीद दया की लगा रहा है  अब रहम कर तेरा इंसान तरसता जा रहा है। हाँ हुई गलतियां हमसे  तो माफ करना भी तो तेरा काम है  क्यों रूठ गया इतना हमसे  कि हमारा तुझे मनाना भी मानो नाकाम है  हे ईश्वर तू सर्वशक्तिमान है  तेरा इंसान तो मूर्ख और नादान है  इसे कहा इतनी प

हौसला जगाए जा ।

ना हार मान ना हारने दे जिंदगी तेरी है, जब तक मंजिल ना मिले ना खुद को चैन आने दे, ना ही अपने जोश को ठहर जाने दें, कदम हर वक्त बढ़ाते जाने दे, रास्ते खुद बे खुद खुुुल जाए गे खुद में ऐसी हिम्मत जग जाने दे। आसानी से कहां हीरे मिलते हैं,   गहराई में खुद को जाने दे, समुंद्र में खुद को डुबकी लगाने दे, खुद हीरो का अंबार लग जाएगा, जब तेरे मन में उम्मीदों का हार लग जाएगा, तब हर मुश्किल का द्वार अपने आप खुल जाएगा। डरना वीरों की शान नहीं, हारना तो मेरा स्वाभिमान नहीं, जीत आत्मविश्वास की होती सदा, बिना हिम्मत के मंजिल रोती सदा, कोशिश सबको सिखाए जा, नए रास्ते बताए जा, मंजिल खुद तेरे कदम चूमेगी, बस दिल में एक बार "हौसला जगाए जा"।  उम्मीद तु खुद से लगाये जा। तूूू कदम बढ़ाए जा, आत्मविश्वास जगाए जा, मंजिल जरूर मिलेगी तुझे एक बार, "तू हौसला दिखाए जा।"

माँ मुझे भी उड़ जाने दो ।

 तेरे आँगन की चिड़िया हु ना माँ, तो मुझे भी खुले आसमा में उड़ जाने दो, मुझे भी खुलकर पंख फेलाने दो, तेरे आँगन की गुड़िया हु न माँ, तो मुझे भी मन पसंद के खिलोनो से खेल जाने दो ।   क्यों भवरों को ही छुट दे रखी हैं माँ ,मन चाहे फूलों पर मँडराने की, में भी तो तितली हु तेरे आँगन की मुझे भी छूट दे दो मनछाए फूलों पर मँडराने की उड़ कर महक बरसाने की।  उड़ रहे हैं माँ सब खुले आस्मा में क्यों पंख मेरे बाँधे हुए हैं? मन मेरा भी चाहता हैं नील गगन में उड़ जाने को खुले अस्मा में पंख फैलने को आज़ादी के एहसास को महसुस कर जाने को।  खुले दरवाजे सबके लिए यहाँ माँ क्यों खिड़की से में झाकु? बंद हैं यहाँ मेरा पिंजरा माँ कैसे यहाँ से में नील गगन की औऱ झाकु? कैसे उड़ने के लिए अपने पँखो को आकू। शेरनी हु ना माँ में तेरे आँगन की तो क्यों बिल्ली बनकर औरो के पिछे भागु क्यों हर बार दूसरों के लिए में ही अपना सबकुछ त्यागू मुझे भी हक़ हैं खुलकर जीने का क्यों बन्द गुफा से में झाकु?  एक मौका मुझे भी दो माँ मुझे भी उड़ जाने दो अपनी पसंद से जी जाने दो अस्मा को चूम आने दो अंतरिक्ष पर कदम बढ़ाने दो मैं भी सबकुछ कर  सकती हु माँ बस एक बार

जिंदगी की रेस में बच्चों का बचपन कही खो गया।

 जिंदगी की रेस में बच्चों का बचपन कही खो गया परिवर्तन ये बड़ा अजीब हो गया । वो बारिश के मौसम में कागज की कश्ती तैराना, वो बारिश के पानी में दोस्तो संग नाचना-गाना,वो रेत के टीलों पर अपना-अपना घर बनाना, शोर -गुल के साथ गिल्ली-डंडा उड़ाना,वो बात बात पर रूठना-मनाना सब न जाने कही सो गया ,जिंदगी की रेस में बच्चों का बचपन कही खो गया। वो दादी-नानी की कहानियां सारी- सारी रात सुनना ,वो परियो और भूतों में बेहतरीन यकीन करना, वो छत पर सोते हुए अस्मा में यु तेरे गिनना ना जाने कहाँ खो गया ,जिंदगी की रेस मैं बच्चों का बचपन कही सो गया।  वो बचपन मे माँ का लोरी सुनाना, पिता का प्यार से कंधे पर बिठाना ,वो माता-पिता का बच्चों के साथ दोस्तों की तरह खेलते,नाचते,गाना हस्ते हँसाते उनको पढना ना जाने कहा खो गया जिन्दगी की रेस मैं बच्चों का बचपन कही खो गया। वो गलती करने पर मासूम सी शक्ल बनाना डाट से बचने के लिए आँसू बहाना, भरपूर नोटंकी दिखा-दिखा कर सबका दिल बहलाना,वो रोज नए सपने देख सबको बताना, हँसना-रोना तो कभी बड़ा सा मुँह फूलना सच मे बड़ा यादगार था, बचपन का हर किस्सा अब कही खो ,गया जिंदगी की रेस में बच्चों का बचपन

तेरी आज की मेहनत ही तेरी कल की सफलता का राज हैं।

जिस हिम्मत से तूने कदम बढ़ाया है, मुश्किलों से लड़ने का जो तूने हौसला खुद में जगाया है, देख उस खुदा ने भी कितनी शिद्दत से, तेरे रास्तों के कांटों को हटाया है, तुझे रास्ता दिखाया है। जिस सपनों को तूने सजाया है, जिन को पूरा करने के लिए तूने दिन-रात खुद को जगाया है, हो रहा असफल फिर भी उसे पाने के लिए जी जान तूने लगाया है, मिलेगा वह पद भी तुझे जरूर, क्योंकि उस रब ने मेहनत को सबसे ऊपर बताया है। जिस चीज को पाने के लिए तूने अपना सब कुछ गंवाया है, जिसके लिए तूने हर चोट को अपनाया है, एक दिन जीत तेरी भी जरूर होगी, क्योंकि तू हार से ना कभी घबराया है, ना कभी मैदान छोड़कर भाग आया है। जिस मुसीबत से डरा नहीं तू, Add caption किस्मत के सामने झुका नहीं तू, उसकी तो मंजिल भी मोहताज है, कदम बढ़ा तू क्योंकि, सजेगा जरूर एक दिन तेरे सर पे भी ताज है, आज की मेहनत तेरी कल की खुशियों का राज है। जिस यकीन से तूने मंजिलों को पाने की कोशिश की है, उस यकीन से ही तेरी किस्मत भी झुकी है, साबित कर देगी तेरी मेहनत भी, एक दिन सबको की मेहनत के सामने सारी दुनिया झुकी है। "अगर जिद तेरी पक्क

बेटी

कभी-कभी मेरा मन भी विचलित हो जाता, प्रश्नों का भंडार खड़ा हो जाता , क्यों होती बेटी की विदाई , क्यों सहनी पड़ती उसको अपनों से जुदाई , क्यों हर बार चोट उसको ही लगाई ? अपनी खुशियों को छोड़ , क्यों उसे दूसरों की खुशियां थमाई , बजा के तूने शहनाई , बड़े दुख से कर दी उसकी विदाई , वह पूछती रह गई , पर किसी के मुंह से आवाज ना आई । ऐसे अजीब रिवाजों को देख बेटी सेहमाई , पर सब की मर्जी और रिवाजों के आगे , वह भी कुछ ना कर पाई , भरी आंखों से नर्म होठों से , उसके भी मन मै एक आवाज आई , बेटी कह के भी कर दी पराई । जननी और उसकी जान की होती यह कैसी जुदाई , जिसको देख कर हर किसी की आंख भर आई , सीने से लगाकर बड़े प्यार से रोते हुए , क्यों कर दी सब ने अपनी बेटी की विदाई , यह सब देख बेटी को बहुत रोना आया , पर उसके प्रश्नों का उत्तर आज तक कोई नहीं दे पाया । पर फिर भी बेटी ने अपना सारा फर्ज निभाया , एक ही नहीं बल्कि दो परिवारों को सजाया , सब में प्रेम जगाया हर रिश्ते  को बखूबी निभाया , सहा खुद दुख पर किसी को भी इसका एहसास ना दिलाया। बेटी ने दो दो घरो को सजाया । बेटियों का सम्मान कर

गुरु

 गुरु गंगा की धार हैं गुरु गीता का सार हैं ,गुरु से उज्ज्वल ये संसार हैं गुरु से ही जीवन का उद्धार हैं। भटके हुए का मार्ग हैं गुरु ,तेरी मंजिल के पथ का सच्चा साथी हैं गुरु,अगर दीया तू तो  बाती हैं गुरु ,अंधेरों में भी रोशनी जला दे ऐसे साथी हैं गुरु । तू अगर पंछी हैं तो तेरी उड़ान की पहचान हैं तेरे गुरु ,तु फुल हैं तो तेरी सुगंध की पहचान है तेरे गुरु, तु हैं अगर स्वाभिमानी तो तेरा अभिमान हैं गुरु, तेरी उन्नति की पहचान है गुरु ,असल मैं इस धरती का भगवान हैं गुरू। कभी प्रेम से तो कभी डाट से समझाऐ गुरु कभी हाथ पकड़कर तो कभी कलम पकड़ के बताये गुरु गलती पर समझये गुरु तेरा हौसला हमेशा बढाए गुरु निराशा में आशा जगाए गुरु। ख़तरों से लड़ना सिखाए गुरु जीवन मे आगे बढ़ना सिखाए गुरु मुश्किल में मार्ग बताए गुरु जीवन का लक्ष्य बताए गुरु असल मे दुनिया मे जीना सिखाए गुरु जीवन सफल कराए गुरु । तीनों लोक जिनके गुन गाते ब्रहमा ,विष्णु ,महेश शीश झुकाते स्वंम गोविंद गुरु को आगे बताते जीवन का उद्धार हैं ,गुरु मैं ही सफलता का मार्ग है गुरु उमीदों का चिराग हैं । "Happy Teacher's Day " गुरु ज्ञान का प्रकाश