उसे कौन हरा पाया
जिसने हार कर भी खुद को बाजीगर बताया,
जिसने खुद ही अपना हौसला बढ़ाया,
अपनी मेहनत से इतिहास के पन्नों में नाम कमाया,
जिसने किस्मत को भी अपनी मेहनत से छोटा बताया,
भला उससे आज तक कौन जीत पाया,
क्योंकि हर सरताज अपनी मेहनत के बल पर पाया।।
अपनी कामयाबी का गुरूर जिसे कभी नहीं आया,
घमंड से जिसने अपना परचम नहीं लहराया,
अपने आत्मविश्वास और हौसले से जिसने,
अपना जीवन सफल बनाया,
वही खिलाड़ी बाजीगर कहलाया।।
उसने ही जग में अपना नाम कमाया,
जिसने किस्मत नहीं काबिलियत पर भरोसा जताया,
वही बाजीगर बन पाया।।
एक हार से जिसने मुंह नहीं घुमाया,
जीत की आशा संग जो फिर मैदान में उतर आया,
अपने परिश्रम से जिसने सबको हराया,
वही सच्चा बाजीगर कहलाया।।
जिसने हाथों की लकीरों पर नहीं,
उसकी ताकत पर भरोसा जताया,
माथे की लकीरों को नहीं,
मेहनत को जीत का राज बताया,
वही सिकंदर कहलाया।।
जो नीले आसमां को चूम आया,
पर फिर भी
उसने अपनी जमीन में सिर झुकाया,
गुरुर से नहीं
गुणों से जिसने अपना नाम कमाया,
जिंदगी के हर खेल को खेलकर जीत दिखाया,
बिना डरे जिसने कदम बढ़ाया।।
जिसने हार कर भी खुद को बाजीगर बताया,
जिसने खुद ही अपना हौसला बढ़ाया,
अपनी मेहनत से इतिहास के पन्नों में नाम कमाया,
जिसने किस्मत को भी अपनी मेहनत से छोटा बताया,
भला उससे आज तक कौन जीत पाया,
क्योंकि हर सरताज अपनी मेहनत के बल पर पाया।।
अपनी कामयाबी का गुरूर जिसे कभी नहीं आया,
घमंड से जिसने अपना परचम नहीं लहराया,
अपने आत्मविश्वास और हौसले से जिसने,
अपना जीवन सफल बनाया,
वही खिलाड़ी बाजीगर कहलाया।।
उसने ही जग में अपना नाम कमाया,
जिसने किस्मत नहीं काबिलियत पर भरोसा जताया,
वही बाजीगर बन पाया।।
एक हार से जिसने मुंह नहीं घुमाया,
जीत की आशा संग जो फिर मैदान में उतर आया,
अपने परिश्रम से जिसने सबको हराया,
वही सच्चा बाजीगर कहलाया।।
जिसने हाथों की लकीरों पर नहीं,
उसकी ताकत पर भरोसा जताया,
माथे की लकीरों को नहीं,
मेहनत को जीत का राज बताया,
वही सिकंदर कहलाया।।
जो नीले आसमां को चूम आया,
पर फिर भी
उसने अपनी जमीन में सिर झुकाया,
गुरुर से नहीं
गुणों से जिसने अपना नाम कमाया,
जिंदगी के हर खेल को खेलकर जीत दिखाया,
बिना डरे जिसने कदम बढ़ाया।।
"वही बाजीगर कहलाया,
उसने ही जग में नाम कमाया।।"
Correct nice
ReplyDeleteThank u
ReplyDeleteNice poem
ReplyDeleteNic poem
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