Skip to main content

Posts

झाँसी की रानी महारानी लक्ष्मीबाई।

बचपन से ही जिसने स्वतंत्रता के लिए अपनी तलवार उठाई थी, स्वाभिमान से जीना जिसकी स्वयं की लड़ाई थी , पुरुषों के समान घुड़सवारी और तलवारबाजी , जिसको तात्या गुरु ने सिखाई थी , वह शूरवीर शेरनी रानी लक्ष्मीबाई थी । सन सत्तावन में उसने क्रांति जगाई थी , दूर फिरंगी को करने की उसने सौगंध खाई थी , दुश्मनों को उसने भी कई बार धूल चटाई थी , उसने अपने और अपनों के सम्मान के लिए लड़ी लड़ाई थी , वह वीर पूज्यनीय लक्ष्मीबाई थी । क्रांति की ज्वाला जिसने सब में जलाई थी , क्या स्त्री क्या पुरुष सब ने मिलकर आवाज उठाई थी , हर स्त्री ने उस समय चूड़ी नहीं तलवार की धार बढ़ाई थी , हारी नहीं कोई भी स्त्री क्योंकि इनकी नेता वीरांगना लक्ष्मीबाई थी । बचपन में ही जिसने बड़े बड़ों को धूल चटाई थी , अंग्रेजों से उनकी नींद चुराई थी , अपने देश के गुलामी से आजाद हिंद बनाने के लिए , जिसने तलवार उठाई थी , वह वीर स्त्री लक्ष्मी बाई कहलाई थी । मोरोपंत की पुत्री कहलाई थी , तीर तलवार भाला जिसको , उसने अपनी सच्ची शक्तियां बताई थी , क्या हिंदू क्या मुस्लिम उसने सब में ज्वाला जगाई थी , दुश्मनों को मार गिर

वर्दी का रंग सफेद हुआ।।।।

वर्दी का रंग बदला हैं इसबार सफेद रंगो मैं धारण होकर सेवक आए हैं नमन कर रही हैं पूरी सरजमीं इनको अपने परिवारों को छोड़ ,ये अपनों की जान बचाने आए हैं, इस बार सफेद खाखी मैं फरिश्ते आए हैं ,मातृभूमि की रक्षा करने  माँ भारती के कर्मवीर आए हैं। कल तक सरहदों पर जो खड़े थे वो वतन के रखवाले थे आज सरहदों के अंदर ही खड़े सबकी जान बचाने सेवक आए हैं ,इसबार सफ़ेद कपड़ो मैं फरिश्ते आए हैं। रंग केवल वर्दी का बदला हैं ,जोश वहीं पुराना हैं, दुश्मन घर का हो या बाहर का मिलकर उसको मिटाना हैं ,अपने वतन को बचाना है। भुरे रंग की वर्दी से खाखी का रंग सफ़ेद हो गया बंदूकों के बजाए शरीर पीपीटी किट में कैद हो गया उस फरिश्ते का पुरा दिन दवाइयों से दुश्मनों को मारने में खो गया वो डॉक्टर बिना खाये - पिये मरीजों के इलाज मैं मग्न हो गया बिना नींद लिए वो सारी रात दिन देश की सेवा में एक हो गया। वर्दी का रंग बदला है ,उमीदें आज भी वही है ,सरहदों की लाज भी यही है, सफ़ेद रंगो मैं ये वीर हैं ,अब जीवन की अरदास भी यही है बच पा रहे हम तो उसका राज भी यही हैं ईश्वर का आशीर्वाद भी यही है। ना जाने फिर भी क्यों हो रहा इनपर वार हैं जबकि इन स

कारगिल विजय दिवस(Tribute to kargil Soldiers)

 सन्न 1999 की वो लड़ाई थी एक आंधी जोर से आई थी वीरो ने धुल दुश्मनो को चटाई थी न झुकें थे हम कभी न झुकेंगे ये बात सिद्ध करके दखाई थी। ये माटी कर रही तुम्हारी जय जय कार हैं इतिहास गवाह विजय दिवस पर नमन कर रहा शहीदो को पूरा हिंदुस्तान हैं आज भी उस चोटी पर वीरो के लहु के निशान हैं ये भारत माँ की साँची संतान हैं। नमन शहीदो के बलिदान को,नमन शहीदो के स्वाभिमान को,  नमन करता पूरा भारत गर्व से हमारे जवानों कि शान को मात्रुभूमि के वीर जवानों  को। ये जमी तुम्हारी कर्जदार हैं,  इसके कण -कण मैं गुजी तुम्हारी पुकार हैं, तेरी ललकारो से गूँजी कश्मीर की घाटी बार बार हैं,  देश का पत्ता पत्ता करता शहीदो की जय जयकार है, नमन शहीदो को करता ये सारा संसार हैं।

याद इन्हें रखना (माँ -पिता)

जब भी मैं हारू मेरा हौसला बढ़ाना, जब भी मैं निराश होऊ  मुझ में आशा जगाना, मेरे माँ तुम मुझे हर पल रास्ता दिखाना, मुझे हर मुसीबत से बचाना, मुझमें उम्मीद की किरण जगाना। जब मैं रोऊं तब मुझे हंसाना, मेरे होठों पर मुस्कुराहट तुम लाना, जब मैं उलझू मुझे सुलझाना, मुझे हर उलझन से बचाना, मेरे पापा हमेशा तुम मेरा  इसी तरह साथ निभाना, मेरी हिम्मत बन जाना, जब भी कोई मुसीबत आए, मुझे उससे लड़ना सिखाना।

वीरो की कहानी उनकी जुबानी

भिगोकर वह वीर अपनी वर्दी, खून से एक कहानी कह गए, बिना सोचे समझे, वो मुल्क को अपनी जवानी दे गए, मना रहे थे तब जब हम-तुम प्रेम के पल, सच्ची देश भक्ति की कहानी कह गए।

अभी तो(Right Now)

अभी तो कदम बढ़ाया है, मंजिल तक जाना बाकी है। । अभी तो  पहाड़ पर आया हूँ, एवरेस्ट पर फतह करना बाकी है। । अभी तो सूरज की किरणें निकली है, अभी रोशन जहां को करना बाकी है। ।

आवाज उठाओ (Raise Your Voice)

एक बार फिर हर बेटी ने प्रश्न उठाया! कुछ दरिंदों की वजह से पूरा वतन शर्मिंदा हो आया, तब हर बेटी ने एक ही सवाल उठाया, ऐसे दरिंदों को जीने का अधिकार ही किसने दिलाया??  ऐसे दरिंदों को खत्म करो, इनको जीने का अधिकार नहीं, जिनके मन में बच्ची के लिए प्यार नहीं।।